कोबरापोस्ट के स्टिंग में ‘बाबरी मस्जिद’ गिराए जाने को लेकर बड़ा खुलासा

नई दिल्ली: अयोध्या में बाबरी ध्वंस कांड पर एक खोजी अभियान में न्यूज पोर्टल कोबरा पोस्ट ने दावा किया है कि 6 दिसंबर 1992 की वह घटना पूर्व नियोजित कार्रवाई थी तथा विश्व हिन्दू परिषद और शिवसेना ने दो अलग अलग पुख्ता योजनाएं बनायी थीं।  आपरेशन जन्मभूमि नाम के इस अभियान में बाबरी ढांचा कांड में लिब्रहान आयोग में आरोपित लोगों में से 23 लोगों से बातचीत के आधार पर ये दावे किये हैं।

कोबरापोस्ट के संपादक अनिरूद्ध बहल ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में करीब ढाई घंटे की वीडियों सीडी का प्रदर्शन किया जिसमें आरोपियों से बातचीत दिखाई गई है। इन लोगों में भारतीय जनता पार्टी के नेता सच्चिदानंद साक्षी महाराज, उमा भारतीय, विनय कटियार, कल्याण सिंह, जयभान सिंह पठैया, विहिप नेता चंपत राय, रामजी गुप्ता रामविलास वेदांती, साध्वी रितंभरा आचार्य धमेन्द्र आदि शामिल है। कोबरापोस्ट के एसोसिएट एडीटर के. आशीष द्वारा संचालित इस अभियान में कई लोगों तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहराव की ‘सम्पति’ बाबरी ढांचे को ढहाने के लिए विशेष सैन्य प्रशिक्षण, पेट्रोल बम और डायनामाइट के इस्तेमाल की तैयारियों का भी खुलासा किया है।

कोबरापोस्ट ने दावा किया है कि इस सिंटग आपरेशन में जो खुलासे किए गए हैं वे इस मामले की सीबीआई जांच तथा लिब्रहान आयोग की कार्यवाही से बाहर की बातें हैं। बहल ने सवाल किया कि जब उनके पोर्टल द्वारा घटना के 21-22 वर्ष बाद इतने गवाह और तथ्य जुटाये जा सकते हैं तो फिर सीबीआई की जांच और लिब्रहान आयोग की जांच में ये तथ्य क्यों नहीं जुटाए जा सकते थे।

वीडियो सीडी में भाजपा के पूर्व सांसद तथा आगामी लोकसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार साक्षी महाराज ने यह आरोप तक लगाया कि 1990 में नवंबर की घटना में शहीद हुए कार सेवक कोठारी बन्धु और महेन्द्र सिंह पुलिस की गोली नहीं बल्कि विहिप की ओर से ही चलवाई गई गोली से मरे थे।

उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने तो कोई गोली नहीं चलवाई थी।  आपरेशन जन्म भूमि की तहकीकात के अनुसार बाबरी मस्जिद किसी उन्मादी भीड का काम नहीं था। इस योजना को सोच समझ कर प्रशिक्षित लोगों के हाथों अंजाम दिया गया था। यह योजनाएं इतनी गुप्त थीं कि किसी सरकारी एजेंसी को इनकी भनक तक नहीं लगी थी।

कोबरापोस्ट के इस आपरेशन के अनुसार भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और कल्याण सिंह को बाबरी ढांचा गिराये जाने की योजनाओं की पूरी जानकारी थी। ढांचा गिराये जाने के लिए प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं का बलिदानी जत्था भी था। विहिप ने कार्यकर्ताओं को गुजरात के सरखेज तथा शिवसेना ने मध्यप्रदेश के भिण्ड और मुरैना में प्रशिक्षण दिया था। उन्हें पहाडिय़ां चढऩे, खुदायी करने और शारीरिक व्यायाम का प्रशिक्षण दिया गया था। आरोपियों के बयानों के अनुसार विवादित ढांचे को तोडऩे के लिए हथौड़े, छेनी, गैंती, फावड़े, सब्बल और अन्य औजार जुटाने में आडवाणी, विहिप नेता अशोक सिंहल आदि का प्रत्यक्ष सहयोग मिला था।

6 दिसंबर को बाबरी ढांचे से कुछ दूर बने रामकथा मंच पर लाखों कारसेवकों को राम मंदिर के भव्य निर्माण के लिए कारसेवा का संकल्प कराया गया था। इसक बाद ढांचा टूटना शुर हो गया था। ढांचा तोडने का काम विहिप द्वारा गठित लक्ष्मण सेना ने किया था। लक्ष्मण सेना को बताया गया कि बिना ब्रेक की गाड़ी की तरह काम करना। वरिष्ठ नेता मना करेंगें पर काम रकना नहीं चाहिए।

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